
बरहट प्रखंड में मनरेगा से सड़क निर्माण में बड़ा खेल, निजी लाभ के लिए बना दी गई सड़क, ग्रामीणों में आक्रोश
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जमुई/बरहट। बिहार के जमुई जिला अंतर्गत बरहट प्रखंड से मनरेगा योजना के तहत सड़क निर्माण में बड़े घोटाले का मामला सामने आया है। विकास कार्य के नाम पर निजी उपयोग के लिए बनाई गई सड़क को लेकर ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। ग्रामीणों का कहना है कि जहां लोगों को सड़क की सख्त जरूरत है, वहां काम नहीं हो रहा, लेकिन जहां किसी का आना-जाना नहीं होता, वहां फेवर ब्लॉक सड़क का निर्माण कर दिया गया है। ग्रामीणों के मुताबिक, मालीपुर मुख्य सड़क के पास करीब 688093 रुपए की लागत से एक सड़क बनाई गई है,
जिसका कार्य प्रारंभ 12 फरवरी 2025 को हुआ जबकि योजना संख्या और समाप्ति तिथि के स्थान पर सिर्फ "2024-25" लिखा गया है। दूसरा मामला भी मनरेगा योजना के तहत सामने आया, जहां 14 फरवरी से 22 मार्च 2025 तक का कार्य दिखाकर फेवर ब्लॉक सड़क बनाई गई, लेकिन वह भी ऐसी जगह है जहां कोई आवास नहीं है और ना ही कोई उस रास्ते से आता-जाता है। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि यह सड़क निजी जमीन के बीच बनाई गई है और इसका उद्देश्य केवल जमीन की कीमत बढ़ाना और मुआवजा पाना है। सड़क निर्माण का कार्य आधा अधूरा है,
बोर्डों पर अधूरी जानकारी लिखी गई है और सड़क बनने के कुछ ही समय बाद उसमें दरारें आने लगी हैं। बोर्ड पर एजेंसी का नाम "पंचायत समिति" बड़े अक्षरों में लिखा गया है, लेकिन योजना का कोई स्पष्ट विवरण नहीं है। ग्रामीणों ने सवाल उठाया है कि जहां असली जरूरत है, वहां कोई अधिकारी ध्यान नहीं दे रहा, जबकि सुनसान जगहों पर चमचमाती सड़कें बना दी जा रही हैं।
क्या कहते हैं अधिकारी? फोन पर संपर्क करने पर मनरेगा पदाधिकारी सुधांशु शेखर ने कहा कि “यह सड़क बगल के गांव को जोड़ने के लिए बनाई गई है और इसका उपयोग होता है।” हालांकि ग्रामीणों की मानें तो यह दावा सिर्फ कागज़ों पर ही सच है, जमीनी हकीकत कुछ और ही बयान करती है। डीडीसी से इस संबंध पर बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने कहा कि मामला मेरे संज्ञान में आया है मैं इसका जांच करता हूं।
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