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नल-जल योजना का छलावा: पोखर में पड़ा टंकी, ग्रामीणों को नसीब नहीं एक बूंद पानी

नल-जल योजना का छलावा: पोखर में पड़ा टंकी, ग्रामीणों को नसीब नहीं एक बूंद पानी



 जमुई: सरकार की बहुचर्चित हर घर नल से जल' योजना, जो सात निश्चयों में शामिल सबसे महत्वपूर्ण वादों में से एक रही है, उसकी पोल अब ज़मीन पर खुलती नज़र आ रही है। जिला मुख्यालय से चंद किलोमीटर दूर सदर प्रखंड के बरबट्टा पंचायत में योजना पूरी तरह फेल हो चुकी है। जमुई स्टार न्यूज़ की टीम जब  गांव पहुंची, तो वहां का दृश्य चौंकाने वाला था। कहीं पानी टंकी का ढांचा खड़ा है पर मोटर नदारद, कहीं टंकी है पर पानी नहीं, और कई वार्डों में अब तक कनेक्शन ही नहीं हुआ। सबसे शर्मनाक स्थिति वार्ड नंबर 11की देखने को मिली, जहां वर्षों से पानी की टंकी पोखर में फेंकी पड़ी है, और उसमें अब कमल का फूल खिला रहा है।

ग्रामीणों का कहना है कि जब यह टंकी लगाई गई थी तो उन्हें लगा था कि अब उनके घरों में शुद्ध पानी पहुंचेगा, लेकिन महज दो दिन बाद ही टंकी से पानी रिसने लगा और एक आंधी में उड़कर वह बगल के पोखर में जा गिरी। घटिया निर्माण, गहराता भ्रष्टाचार ग्रामीणों के अनुसार योजना के तहत आईएसआई मार्का पाइप लगाए जाने थे, लेकिन घटिया और लोकल मटेरियल का इस्तेमाल किया गया। जहां 3 फीट गड्ढा किया जाना था, वहां सिर्फ डेढ़ से दो फीट की खुदाई की गई। नतीजतन न पाइपलाइन टिक पाई, न टंकी।

लालू नगर, खरगोड़ बस्ती और आधा गांव ये वो क्षेत्र हैं जहां करीब 150 घरों तक पानी पहुंचना था, लेकिन पाइप तो बिछा दिया गया, पर आज तक एक बूंद पानी नहीं पहुंच पाया। ग्रामीणों की हालत यह है कि वे आज भी कुओं या नहरों के सहारे जीवन बिता रहे हैं, जबकि कागज़ों में उनके मोहल्ले में “हर घर नल से जल” पहुंच चुका है। 

क्या कहते हैं पदाधिकारी? जब इस बारे में पीएचईडी विभाग के पदाधिकारी प्रिंस कुमार से पूछा गया कि पोखर में पड़ी टंकी के बारे में वे क्या कहेंगे, तो उनका जवाब था: मुझे इसकी जानकारी नहीं थी। मैं इसे नोट कर लेता हूं और संबंधित प्राधिकारी को जांच के लिए भेजता हूं।प्रशासन की इस उदासीनता से ग्रामीणों में जबरदस्त आक्रोश है। लोगों का कहना है कि यह योजना अब जनहित नहीं, ठेकेदारों और अधिकारियों के लिए लाभ की योजना बन चुकी है।


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