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15 दिन में इस क्लीनिक में 2 मरीज की गई है जान

15 दिन में इस क्लीनिक में 2 मरीज की गई है जान

जमुई शहर में आए दिन डॉक्टरों की लापरवाही से लगातार मरीज मर रहे हैं । सदर अस्पताल कौन कहे निजी क्लीनिकों में भी मरीज अब सुरक्षित नहीं है। इलाज कराने आए मरीज की जान जा रही है।


डॉक्टर साहब एक शब्द कह कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं कि मरीज के साथ किसी भी तरह की लापरवाही नहीं हुई है। इलाज में कोताही नहीं बरती गई है। मरीज की हालत शुरू से ही गंभीर था इस बात की जानकारी परिजनों को दे दिया गया था। परिजनों की सहमति के बाद ही मरीज में हाथ लगाया गया लेकिन बात कुछ और होता है चंद पैसे की लालच में मरीज को ऑपरेट कर देते हैं और मरीज की जान चली जाती है। ऑपरेट करने मैं बहुत सी कोताही बरती जा रही है। नबसिखुए नर्स व कंपाउंडर से काम चलाया जाता है। जिसके कारण इथर से लेकर अन्य चीज में भी कोई मापदंड नहीं रहती है। जिसके कारण मरीज की जाने जाती है।

बीते रविवार की रात महिसौरी चौकी स्थित एक निजी क्लीनिक में गिद्धौर थाना क्षेत्र के नवादा गांव निवासी सनोज कुमार यादव की पत्नी संजू देवी की मौत हुई। चिकित्सक द्वारा संजू देवी का ऑपरेशन किया गया और बच्चा भी स्वस्थ्य है। अचानक प्रसूता की तबीयत बिगड़ने लगी और उसकी मौत हो गई। यह कोई बड़ा ऑपरेशन नहीं था। इसी तरह 15 दिन पहले घनवैरिया निवासी मणिकांत सिंह की पत्नी को स्टोन का ऑपरेशन इसी क्लीनिक में किया गया और 4 दिन पहले उनकी मौत हो गई। इसी तरह 13 अक्टूबर की शाम डा. पर लापरवाही का आरोप लगा था जमकर बवाल भी काटा गया। प्रसूता जिले के सोनो थाना क्षेत्र के सबयजोर निवासी युगल यादव की 28 वर्षीय पत्नी शोभा देवी थी युगल यादव अपनी पत्नी का प्रसव कराने डा.सूर्यनंदन सिंह के क्लिनिक में भर्ती करवाया था। डा. द्वारा ऑपरेशन के बदले 22 हजार रुपए जमा लिया था। 4 बजे ऑपरेशन से एक बच्ची को जन्म दिया। इसके उपरांत प्रसूता की मौत हो गयी। यह तो एक बानगी है। इस निजी क्लीनिक में लगातार मरीज की मौत हो रही है और परिजन बवाल काटते हैं, पुलिस आती है और परिजन थक हार के घर लौट जाते हैं। लगातार हो रही इस घटना से अब मरीजों के परिजन परेशान दिखते हैं। सदर अस्पताल के बाहर से लेकर जिले के हर गांव में निजी क्लीनिक वाले कुछ डॉक्टरों का दलाल बैठा हुआ है जो चंद पैसे की लोभ में निजी डॉक्टर के पास पहुंचाते हैं। डॉक्टर भी उसे मोटी रकम लेकर अच्छी कमाई करते हैं और उस दलालों को भी कुछ पैसे की कमाई हो जाती है। सदर अस्पताल मैं डॉक्टर मिले या ना मिले, अस्पताल के सामने एंबुलेंस मिले या ना मिले लेकिन हमदर्दी के रूप में दलाल सदर अस्पताल के बाहर से लेकर अंदर तक मिल ही जाते हैं और मरीजों को निजी क्लीनिक वाले डाक्टर के यहां पहुंचा देते हैं जहां मरीजों के इलाज के क्रम में मौत होती है। घर वाले का यह कहना है कि मरीज की तबीयत इतनी खराब रहती है तो डाक्टर हाथ क्यों लगाते हैं। पटना या अन्य जगहों पर रेफर क्यों नहीं करते हैं। चंद पैसे के कारण मरीज की जान ले लेते हैं। सूत्रों की माने तो मरीज की मृत्यु के बाद डाक्टर कुछ बाउंसर भी पाले हुए हैं जिसके डर से मरीज के परिजन अपने घर जाना ही सुरक्षित समझते हैं।

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