पत्रकार गोकुल यादव हत्याकांड में 6 अभियुक्तों को आजीवन कारावास, जुर्माना भी
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सिमुलतला के चर्चित पत्रकार गोकुल यादव हत्याकांड में न्यायालय ने बड़ा फैसला सुनाया है। जमुई के जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश सप्तम अमरेंद्र श्रीवास्तव ने अपने करीब 50 पेज के फैसले में मामले के छह नामजद अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही सभी पर अलग-अलग धाराओं में जुर्माना भी लगाया गया है। जुर्माना की राशि अदा नहीं करने पर अभियुक्तों को अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।
यह घटना 10 अगस्त 2022 की सुबह लगभग 10:30 बजे की है। सिमुलतला निवासी पत्रकार गोकुल यादव न्यूज़ कवर करने के लिए अपनी बाइक से जा रहे थे। इसी दौरान तीन मोटरसाइकिलों पर सवार 6 से 7 अपराधियों ने उन्हें घेर लिया और अंधाधुंध फायरिंग कर दी। गोकुल यादव को सिर, छाती और पीठ में तीन गोलियां लगीं, जिससे वह गंभीर रूप से घायल होकर सड़क पर गिर पड़े। घटना के समय मृतक के भाई मथुरा यादव अपने साथी राकेश कुमार के साथ मोटरसाइकिल से बाजार जा रहे थे।
उन्होंने पूरी घटना अपनी आंखों से देखी और तत्काल गोकुल यादव को मोटरसाइकिल से उठाकर अस्पताल ले जाने लगे। इसी बीच सिमुलतला थानाध्यक्ष विद्यानंद पुलिस वाहन के साथ मौके पर पहुंचे और घायल पत्रकार को जमुई सदर अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। मामले में एफएसएल टीम, पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सक सहित कई गवाहों के बयान दर्ज किए गए।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने ट्रायल फेस कर रहे छह अभियुक्तों बीरबल यादव, मुनेश्वर यादव (दोनों भाई), सरफराज अंसारी (तीनों ग्राम लीलावरण), पंकज यादव (ग्राम बस्तीयाडीह), अजय यादव (ग्राम गोपालामारण, थाना सिमुलतला) और योगेंद्र यादव (ग्राम नोनियातरी, थाना चंद्रमंडीह) को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। न्यायालय ने हत्या की धारा 302 के तहत प्रत्येक अभियुक्त पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। इसके अतिरिक्त अन्य धाराओं में 3,000 से 5,000 रुपये तक का अलग-अलग जुर्माना भी लगाया गया है। यह मामला मृतक पत्रकार के भाई मथुरा यादव के बयान पर सिमुलतला थाना कांड संख्या 75/2022 के तहत दर्ज किया गया था। प्राथमिकी में बताया गया कि पंचायत चुनाव के दौरान बीरबल यादव और मुनेश्वर यादव द्वारा गोकुल यादव और उसके परिवार के साथ मारपीट की गई थी, जिसका केस पहले से दर्ज था। वहीं अजय यादव से भी पुराना विवाद चल रहा था। सभी अभियुक्तों ने गोकुल यादव को जान से मारने की धमकी दी थी और अंततः साजिश के तहत उसकी हत्या कर दी गई। मामले में सरकार की ओर से अपर लोक अभियोजक मोहम्मद ताहिर अंसारी और चंद्रभानु सिंह तथा स्वतंत्र अधिवक्ता सत्यजीत कुमार ने सशक्त बहस की। वहीं बचाव पक्ष की ओर से भी कई अधिवक्ताओं ने अपने-अपने तर्क और साक्ष्य प्रस्तुत किए, लेकिन न्यायालय ने सभी साक्ष्यों के आधार पर अभियुक्तों को दोषी ठहराया। इस फैसले के बाद पत्रकार जगत और आम लोगों ने न्यायालय के निर्णय का स्वागत किया है।


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