
नहीं मिल रहा प्याज एवं सब्जियों के दाम
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मंडियों में नहीं मिल रहा प्याज एवं सब्जियों के दाम
किसानों ने सरकार से लगाई मदद की गुहार30 हजार रुपए बीघा लीज पर जमीन लेकर किसान उगा रहे हैं प्याज एवं सब्जियां
किसानों को मुनाफा की बात तो दूर लागत भी लौटने की नहीं दिख रही उम्मीद
जमुई। प्रणव प्रशांत
कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव को लेकर जारी लॉक डाउन ने जिले के किसानों की कमर तोड़कर रख दी है। जिले में दर्जनों गांव ऐसे हैं जहां के हजारों परिवार प्याज एवं सब्जी उत्पादन वर्षों से करते आ रहे हैं। पर लॉक डाउन एवम बेमौसम बारिश ने इन किसानों का हाल ऐसा कर दिया है कि हजारों एकड़ में तैयार प्याज एवं हरी सब्जियों का कोई खरीददार नहीं मिल रहा है। जबकि बिहार के अन्य जिलों में यहां से सब्जियां हर साल पहुंचती थी। यहां तक कि प्याज बंगाल झारखंड के अलावा अन्य कई राज्यों में जाता रहा है। लॉक डाउन के कारण इन किसानों का आलम यह है की व्यापारी इन किसानों से दो रुपए किलो भी प्याज खरीदने को तैयार नहीं है। जिले के अंबा, सरारी, सिमरिया, नीम नवादा, धनामा, काकन जैसे दर्जनों गांव के किसान 30 हजार रुपैया बीघा सालाना लीज पर जमीन लेते हैं एवं महाजन द्वारा मोटी रकम कर्ज लेकर इन पर प्याज एवं सब्जियों की खेती करते हैं। अंबा के शंकर महतो, भवानी महतो, मकेश्वर महतो, सरवन महतो, विपिन कुमार, अरविंद कुमार जैसे दर्जनों किसानों का कहना है कि हम लोग कई वर्षों से प्याज एवं सब्जियों की खेती करते आ रहे हैं पर इस साल लॉक डाउन के कारण तैयार फसल मजदूर एवं वाहन के अभाव में मंडियों में नहीं पहुंच पा रहा है जिस कारण प्याज एवं सब्जियां सड़ने की स्थिति में आ गई है। किसानों का कहना है कि लॉक डाउन के कारण फसलों से मुनाफा की बात तो दूर लागत भी लौटने की उम्मीद नहीं दिख रही है। किसान बताते हैं कि इस साल सभी बड़े एवं छोटे किसानों को दो से पांच लाख रुपए तक की आर्थिक नुकसान हो चुका है।
इन किसानों के सामने समस्या यह है कि उन्हें फसल उगाने के लिए लागत की रकम एवं लीज पर ली गई जमीन की राशि का भुगतान कहां से करेंगे। किसानों का कहना है कि इन वर्तमान परिस्थितियों में सरकार इन किसानों को आर्थिक मदद करें नहीं तो हम किसानों की वर्षों से चली आ रही पुश्तैनी खेती मजबूरन छोड़नी पड़ेगी। जिले में प्याज के अलावा हरी सब्जियों के भी स्थिति भी यही है। हरी सब्जी का उत्पादन कर रहे किसानों ने बताया कि जिले में हजारों एकड़ जमीन में लौकी, नेनुआ, भिंडी, टमाटर, खीरा, बैगन, ब्रोकली, करेला एवं अन्य सब्जियों का उत्पादन होता है। पर लॉक डाउन के कारण इन सब्जियों को मंडियों तक पहुंचाने के लिए किराया जुटाना किसानों के लिए मुश्किल हो रहा है। साथ ही बड़े मंडियों का आलम यह है कि वहां व्यापारियों द्वारा लौकी एवं नेनुआ की कीमत दो रुपैया प्रति किलो से अधिक नहीं मिल रही है।
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