
बिहार में बालू बंदोवस्ती नियम हुआ और कड़ा
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बिहार सरकार ने बालूघाटों की बंदोबस्ती नियम को और कड़ा बना दिया है। जिनके ऊपर संगीन अपराध का मुकदमा होगा, उन्हें बालूघाट नहीं मिलेगा। खान एवं भूतत्व विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि संगीन आरोप के तहत कोई व्यक्ति यदि मुकदमे में फंसा होगा या फिर उनके ऊपर मुकदमा चल रहा होगा, उन्हें किसी सूरत में बालूघाटों की बंदोबस्ती नहीं दी जाएगी। उन्हें टेंडर में शामिल होने ही नहीं दिया जाएगा। वे इसमें शिरकत नहीं कर सकेंगे। टेंडर में हिस्सा लेने से पहले उन्हें इस संबंध में प्रमाण पत्र देना होगा। यह अनिवार्य होगा। दरअसल, यह बालू माफियाओं और अपराधियों को बालू के धंधे से दूर रखने की कसरत है। लिहाजा इस तरह का प्रावधान बनाया गया है। सरकार नहीं चाहती कि बालू के व्यवसाय में आपराधिक प्रवृत्ति के लोग आएं।
इसीलिए सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि बालूघाटों की बंदोबस्ती में शामिल होने वालों को खुद के ऊपर मुकदमा नहीं होने का प्रमाण पत्र देना होगा। इसमें उन्हें अपराध को लेकर अपने मुकदमों की जानकारी देनी होगी। उन्हें बताना होगा कि उनके ऊपर किसी थाने में संगीन मामला तो दर्ज नहीं है। इसके लिए उन्हें संबंधित जिले के डीएम, एसपी या एसडीओ द्वारा जारी प्रमाण पत्र देना होगा। खान एवं भूतत्व विभाग ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि यदि टेंडर में भाग लेने वाले व्यक्ति ने गलत प्रमाणपत्र दिया और फर्जी प्रमाण पत्र सौंपा तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।पहले तो उनकी सुरक्षित जमा धनराशि जब्त कर ली जाएगी और फिर उन्हें दो वर्षों के लिए ब्लैक लिस्ट कर दिया जाएगा। यही नहीं उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। दो वर्षों के लिए ब्लैक लिस्टेड होने का मतलब यह होगा कि भविष्य में उनका काम करना भी मुश्किल होगा।
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