केडिया गांव देश-विदेश के किसानों के लिए सीखने समझने का जगह बन चुका है।
Tuesday
Comment
जमुई जिले के बरहट प्रखंड के केडिया गांव जिले ही नहीं देश-विदेश के किसानों के लिए सीखने समझने का जगह बन चुका है। बरहट प्रखंड के केडिया गांव के दर्जनों किसान जैविक खाद देकर खेती करते हैं।
8 साल से जैविक खाद से खेती करते आ रहे हैं । मंगलवार को बेगूसराय जिला से अर्थसीसी एजेंसी बंगलुरू के माध्यम से और संस्था के मैनेजर प्रदीप सिंह ने दर्जनों किसान को जेबिक खाद से खेती की गुर सीखने केडिया गांव आए थे।
सभी किसानों को केडिया गांव के राजकुमार ने जैविक खेती के गुर सिखाया। राजकुमार ने साफ शब्दों में कहा कि यूरिया डीएपी खाद से कुछ दिनों के लिए फसल तो अच्छी भले ही होती है लेकिन स्वास्थ्य से लेकर खेत को खोखला बना देता है । जैविक खाद से भले ही थोड़ी उपज प्रभावित होती है लेकिन शुद्ध अनाज शरीर के लिए काफी उपयोग शाली है। साथ ही रासायनिक खाद से उपजा अनाज की अपेक्षा हमारी अनाज का 20 से 25 प्रतिशत अधिक दाम मिलता है। साथ ही खेत की ताकत बढ़ती है। खेत खराब नहीं होता है।
हम लोग 8 सालों से रासायनिक खाद खेत में देना छोड़ दिए हैं और जैविक खाद का उपयोग कर रहे हैं। आज हमारे गांव को इस जैविक खाद के कारण देश ही नहीं विदेश में भी नाम मिला है। केडिया गांव की पहचान जैविक खेती से होती है।बेगूसराय से जमुई केडिया घूमने के लिए ईकोवा कम्पनी ने किसानों को सीखने और मोटिवेशन करने के लिए केडिया गांव लाया था ।जिसका नेतृत्व प्रदीप सिंह तोमर , आनंद कुमार और आशुतोष कुमार के द्वारा किया जा रहा था। प्रदीप कुमार तोमर ने बताया कि नमामि गंगे के तहत और परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत लोगों को जैविक खेती करने के लिए सरकार की योजना को धरातल पर लाने का काम कर रहे हैं ।
वहीं लोगों को मोटिवेट कर के जैविक खेती करने के लिए ट्रेनिंग और उपकरण का व्यवस्था करवाया जा रहा है। जैविक खेती से देश में नहीं विदेशों में भी केडिया गांव से लोग घूमने आते हैं। वही मंगलवार को भी बेगूसराय से नमामि गंगे व परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत कुछ लोगों को घुमाने के लिए गांव लाया गया।
0 Response to "केडिया गांव देश-विदेश के किसानों के लिए सीखने समझने का जगह बन चुका है। "
Post a Comment