
शब-ए-बरात में लोगों ने अपने घरों में की इबादत
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शब-ए-बरात में लोगों ने अपने घरों में की इबादत
जमुई। आकाश राजकोरोना वायरस को लेकर लागू लॉक डाउन में लोगों ने शब-ए-बरात मनाया गया। गुरूवार की रात लोगों ने अपने-अपने घर में ही रहकर रात भर इबादत किया गया। इस इबादत में भी लोगों ने सोशल डिस्टेंशन का भी पूरी तरह पालन किया। इस लॉक डाउन में लोगों ने जिला प्रशासन के निर्देश का पालन करते हुए मस्जिदों और कब्रिस्तानों को सजाने से परहेज किया, साथ ही मस्जिदों और कब्रिस्तानों में जाने से भी परहेज किया। लोग अपने-अपने घर में ही रहकर पूरी रात इबादत किया। बताया जाता है कि शब-ए-बरात के मौके पर रहमत की बारिश होती है। गुरूवार की रात लोग अपने-अपनों के घरों में कुरान का पाठ करते देखे गए। महिलाएं भी घरों में इबादत कर रही थी। सभी के घरों में कुरान का पाठ हो रहा था। कई लोगों ने शब-ए-बरात के अगले दिन रोजा भी रखा। बताया जाता है कि शब-ए-बरात के मौके पर इबादत करने के बाद अगले दिन कई लोगों ने रोजा रख और शाम के समय रोजा भी खोला। वहीं मौलाना फारूक अशर्फी बताते है कि हुजूर सल्ललाहो अलैह वसल्लम ने फरमाया कि जब उर्दू माह शाबान की 15वीं रात यानी शब-ए-बरात आये तो रात में जागें और इबादत करें क्योंकि इस रात में रहमत के फरिश्ते जमीन पर उतरते हैं जो लोग इबादत में मशगूल रहते हैं उन पर फरिश्ते रहमत भेजते हंै। उन्होंने कहा कि इस रात को जो लोग इबादत में गुजारते हैं अल्लाह उनके गुनाहों को बख्श देते हैं। एक हदीस के मुताबिक जो लोग शब-ए-बरात को जिंदा रखते हैं यानी इबादत करते हुए रात गुजारते हैं अल्लाह अपने फरिश्तों को हुक्म देते हैं कि कयामत तक उस बंदे के नामे-अमाल में इबादत लिखते रहो। साथ ही बताया कि इस रात सूर्य डूबने के बाद से अल्लाह ताला आसमान-ए-दुनिया की तरफ आ जाता है और फरमाता है कि है कोई मुझसे बख्शीश मांगने वाला ताकि मैं उसे बख्श दूं। है कोई रोजी मांगने वाला, मैं उसे रोजी अता फरमाता है। यह सिलसिला सुबह सादिक तक चलता रहता है। उन्होंने कहा कि इस रात को लोग सलातुल खैर नमाज कसरत से पढ़े हैं। उन्होंने कहा कि इस रात जो भी लोग नमाज व तीलावत करते हैं अल्लाह उसकी तरफ 70 मरतबा नजरें रहमत फरमाते हैं। हर नजर से उसकी 70 जरूरतें पूरी की जाती है। लोग इबादत के बाद अपने-अपने घरों में सुबह का नमाज अदा कर कोरोना जैसे महामारी बीमारी से निजाद पाने के लिए दुआ भी मांगे।
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