-->
सदस्यता अभियान में जबरदस्त उत्साह, लेकिन लेटलतीफी ने कराया आमजन का सब्र का इम्तिहान

सदस्यता अभियान में जबरदस्त उत्साह, लेकिन लेटलतीफी ने कराया आमजन का सब्र का इम्तिहान



सोमवार को सहकारिता कार्यालय में चल रहे सदस्यता अभियान को लेकर ग्रामीण इलाकों से महिला-पुरुषों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। अभियान को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखने को मिला, लेकिन पदाधिकारियों की लेटलतीफी ने पूरे कार्यक्रम पर सवाल खड़े कर दिए। सुबह 10 बजे से ही महिलाएं छोटे-छोटे बच्चों को गोद में लेकर कार्यालय परिसर में डटी रहीं, परंतु तय समय पर जिम्मेदार पदाधिकारी नहीं पहुंचे। स्थिति यह रही कि लोग सुबह से लेकर शाम 4:30 बजे तक इंतजार करते रहे, जबकि सदस्यता दर्ज करने की प्रक्रिया काफी देर बाद शुरू हो सकी।

लखन धनवा गांव से आई एक महिला ने बताया कि वह सुबह 10 बजे बच्चे के साथ नाम जुड़वाने पहुंची थीं, लेकिन घंटों इंतजार के बावजूद काम नहीं हो सका। वहीं जमीनी देवी ने बताया कि वह सुबह करीब 9 बजे ही कार्यालय पहुंच गई थीं, पर शाम तक भी सदस्यता की प्रक्रिया संतोषजनक ढंग से शुरू नहीं हो पाई। उन्होंने आरोप लगाया कि सदस्यता अभियान सिर्फ कागज़ों में ही सीमित रह गया है, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। उषा देवी ने नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा कि वह सुबह 10 बजे सहकारिता कार्यालय पहुंची थीं, लेकिन पदाधिकारी करीब 1 बजे आए। इसके बाद भी नाम दर्ज करने की प्रक्रिया लगभग 3 बजे शुरू हुई, जिससे महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। लोगों की नाराज़गी के बीच जब संबंधित पदाधिकारी से देरी को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने सफाई देते हुए बताया कि डीसीओ उस समय कार्यालय में मौजूद नहीं थे।

उनके अनुसार डीसीओ साहब गिद्धौर गए हुए थे, जहां डीएम कार्यालय से जुड़े जांच कार्य में व्यस्त थे। डीसीओ के लौटने के बाद ही सदस्यता अभियान की औपचारिक शुरुआत की गई। साथ ही यह भी कहा गया कि हर सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (वीसी) होती है, जिससे समय प्रभावित हुआ। हालांकि आम लोगों का कहना था कि प्रशासनिक व्यस्तता अपनी जगह है, लेकिन सुबह से इंतजार कर रहे नागरिकों की सुविधा और सम्मान की भी जिम्मेदारी प्रशासन की ही होती है। एक ओर जहां सदस्यता अभियान को लेकर जनता में जबरदस्त जागरूकता और उत्साह देखने को मिला, वहीं दूसरी ओर प्रशासनिक लापरवाही और लेटलतीफी ने पूरे कार्यक्रम की चमक फीकी कर दी। अब सवाल यह उठ रहा है कि जब लोग दूर-दराज से समय निकालकर पहुंचते हैं, तो क्या उन्हें घंटों इंतजार कराना ही सुशासन की पहचान है?

0 Response to "सदस्यता अभियान में जबरदस्त उत्साह, लेकिन लेटलतीफी ने कराया आमजन का सब्र का इम्तिहान"

Post a Comment

Ads on article

Advertise in articles 1

advertising articles 2

Advertise under the article