
स्वस्थ्य मिट्टी से ही स्वस्थ्य जीवन है संभव
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अंतराष्ट्रीय मिट्टी दिवस के अवसर पर जमुई के केडिया गाँव में मिट्टी की प्रदर्शनी लगाई गई। विज्ञान के अनुसार स्वस्थ मिट्टी में ही पौष्टिक फल और सब्जी पैदा हो सकते हैं, और उसी का सेवन करके ही हम स्वस्थ्य जीवन जी सकते हैं। अर्थात् मिट्टी हमारे स्वास्थय को भी परस्पर प्रभावित करता है। जीवित माटी किसान समिति, ग्रीनपीस इंडिया और जमुई जिला प्रशासन द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में मिट्टी के स्वास्थय और कुदरती खेती को बढ़ावा देने पर बात की गई। इस अवसर पर मिट्टी के जानकार, कृषि एवं स्वास्थ्य विशेषज्ञों, महिला एवं पुरुष किसानों सहित स्कूली छात्र-छात्राओं ने भी अपने अनुभव साझा किए। विशेषज्ञों ने इस विषय पर चर्चा करते हुए लगातार प्रभावित होते मिट्टी के स्वास्थय पर अपनी चिंता ज़ाहिर की। ग्रीनपीस इंडिया के सीनियर एग्रीकल्चर कैंपेनर रोहिन कुमार ने कहा कि “वैज्ञानिकों के अनुसार स्वस्थ मिट्टी में कार्बन की मात्रा 1 से 3 प्रतिशत और क्षारीयता 6.5 से 7.5 प्रतिशत होनी ज़रूरी है। साथ ही सूक्ष्मजीवों की संख्या भी प्रचुर मात्रा में हो। मगर भारत में जैविक कार्बन की मात्रा 0.1 से 0.3 प्रतिशत ही रह गई है और क्षारीयता का स्तर भी बहुत अस्थिर है। सूक्ष्मजीवों की संख्या मापने को लेकर कोई प्रक्रिया नहीं है, जिसकी वजह से भारी मात्रा में कृषि रसायनों का उपयोग हो रहा है। स्वस्थ मिट्टी की पहचान ही यही है कि जहां रसायनों का इस्तमाल कम से कम करना पड़े। इसके अत्याधिक इस्तमाल से भी मिट्टी का स्वास्थय प्रभावित होता है।" साथ ही उन्होंने कहा कि रसायनों के अत्याधिक प्रयोग ने भूजल और नदी-तालाबों को भी प्रदूषित कर रहा है, जिससे जलवायु संकट की स्थिति उत्पन्न हो रही है।मौक़े पर मौजूद जमुई के ज़िलाधिकारी अविनिश कुमार सिंह ने केडिया के किसानों को सफल जैविक अभियान की शुभकामनाएँ दी। केडिया के किसानों की सराहना आज राज्य व देश के विभिन्न हिस्सों में हो रही है। अलग-अलग जगहों से किसान केडिया है जैविक खेती के बारे-बारे में जानने समझने आते हैं। यह एक खूबसूरत शुरुआत है। मिट्टी प्रदर्शनी के संबंध में उन्होंने कहा कि इस तरह की प्रदर्शनी को प्राइवेट स्कूलों में भी लगाया जाना चाहिए जिससे की बच्चों को खेती का व्यवहारिक ज्ञान मिले। उन्होंने सखीकुड़ा मध्य विद्यालय के बच्चों आर्यन कुमार और सीमा कुमारी की जैविक खेती को लेकर समझ की सराहना की। दोनों बच्चे अपने स्कूल में जैविक खेती करते हैं और उसी खेत का उत्पाद मध्याह्न भोजन का हिस्सा बनता है। जीवित माटी किसान समिति के आनंदी यादव ने लोगों से अपील की कि किसानों को जैविक खेती की ओर लौटने की ज़रूरत है। अगर हम रसायन का इस्तमाल बंद नहीं करते हैं, तो समझिए कि आने वाली पीढ़ी को मौत के मुंह में धकेल रहे हैं। जब खाद का इस्तमाल चलन में नहीं था तो फसलों की गुणवत्ता भी अच्छी होती थी।
किसी घर में चावल पकता था तो आसपास के घरों तक उसका सुगंध जाता था, लेकिन रसायन के अत्याधिक इस्तमाल ने यह सब खत्म कर दिया। इसलिए अगर हमें अन्न की गुणवत्ता बढ़ानी है, और मिट्टी के साथ-साथ खुद को भी स्वस्थ रखना है तो रसायन का इस्तमाल बंद करना होगा। आने वाले दिनों में केडिया में ग्राम चौपाल भी लगेगा। इसकी सूचना ज़िलाधिकारी ने ग्रामीणों को दी। कार्यक्रम में राजकुमार यादव, शिवकुमार चौधरी, इश्तियाक़ अहमद, अमित कुमार निराला, सैफ़, संतोष, मुन्नी मुर्मू, ओमप्रकाश यादव, निर्मला देवी समेत दर्जनों लोग मौजूद रहे।
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