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 7 महीने में सड़क धराशायी: फिर क्या होगा 170 करोड़ के विकास की सच्चाई?

7 महीने में सड़क धराशायी: फिर क्या होगा 170 करोड़ के विकास की सच्चाई?



विधायक की सिफारिश पर बनाया गया शहरवासियों के लिए बनाया गया वैकल्पिक मार्ग अब विकास नहीं, बिल्डर की मिसाल बन गया है। जमुई-सिकंदरा मुख्य मार्ग से हरनाहा तक बनी सड़क, जिसका उद्देश्य शहर को ठंड से राहत दिलाना था, अब खुद परेशानी पैदा हो गई है। यह सड़क लगभग 7 महीने पहले ही बनी थी, और आज आलम यह है कि एक मामूली बारिश में ही सड़क धंस गई और गिट्टी बाहर दिखने लगी है। असल में साफ देखा जा सकता है कि सड़क की सतह पर उथल-पुथल चल रही है, किनारे धंस गए हैं।
"विधायक ने लोगों की परेशानी को देखते हुए सड़क टूटने का सपना देखा था, स्थानीय लोगों का कहना है कि यह सड़क सीधे विधायक के दबाव में बनी है, इसलिए मुख्य शहर का सीमेंट कम हो। लेकिन अब यही लोग सवाल कर रहे हैं कि अगर 7 महीने में ही सड़क टूट गई, तो इसका मतलब क्या है? 

अभी लक्ष्य 170 करोड़ की छूट दी इस कार्य को देखने के बाद अब लोग देखने लगे यह विकास का कार्य है या दिखावा? बता दें कि हाल ही में ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी जमुई दौरे पर आए थे, जहां उन्होंने जमुई को ₹170 करोड़ की विकास मंजूरी की मंजूरी दी थी। लेकिन विभाग के तकनीशियन जा रहे हैं श्रमिकों की स्थिति को देखने के लिए जनता खुद सवाल पूछ रही है - विकास का काम इसी तरह होगा? अगर हर सड़क का यही हाल है, तो 170 करोड़ का पैसा मिट्टी में मिल जाएगा, और विकास सिर्फ कागजों में घूम रहा है।

स्थानीय निवासी
संबंधित पदाधिकारी से फोन के माध्यम से पूछा गया है कि 7 महीने में पहली बारिश में ही रोड का गिट्टी दिखना शुरू हो गया है
जब इस संबंध में संबंधित पदाधिकारी से सवाल किया गया तो उन्होंने कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया। उन्होंने मामले को टालते हुए कहा कि "आवाज नहीं आ रही है अभी हम मीटिंग में है, इतना कह कर  फोन काट दिया गया और उसके बाद जेई  साहब और ठेकेदार साहब का फोन बजना शुरू हो गया, उन लोगों से क्या बातचीत हुई है आप खुद सुन सकते हैं कि ऑडियो में वह कैसे जवाब देने से बचते नजर आए।

इन लोगों ने इस मामले पर बड़े पैमाने पर और जमुई के विधायकों और सांसदों से अनुरोध किया है कि इस सड़क के निष्पक्ष जांच की जाए, संबंधित पदाधिकारी और इंजीनियर पर कार्रवाई हो और दोषियों से वसूली की जाए। जनता का कहना है कि अगर इस तरह के काम होते रहे तो 170 करोड़ की योजना भी "घोटाले" की गाथा बन जाएगी। 

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