
पर्यावरण को लेकर 70 से अधिक जनप्रतिनिधियों में लिया कार्यक्रम में भाग।
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मंगलवार को जमुई स्थित साधना पैलेस में जलवायु परिवर्तन को लेकर एक दिवसीय मंथन शिविर कार्यक्रम का किया गया आयोजन। जलवायु परिवर्तन पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। देश में सबसे प्रभावित पांच राज्यों में से बिहार एक है। वहीं जलवायु परिवर्तन से प्रभावित देश के सबसे प्रभावित 50 जिलों में से 14 जिले बिहार से हैं। इनमें से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में से एक जमुई है। इसका दुष्प्रभाव जिले के किसानों, मजदूरों, महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों सब पर पड़ रहा है। कृषि उपज, रोजगार और अंजान की आमदनी सब पर इसका बुरा असर अब साफ दिखने लगा है। मौजूद हालात को देखते मुखिया महासंघ ने जिले को जलवायु समर्थ बनाने का प्रण लिया है।
जिसकी शुरुआत सीओपी बिहार को जलवायु समर्थ बनाने में पंचायती राज व्यवस्था की भूमिका पर मुखिया महासंघ ने असर सोशल इम्पैक्ट, रिजेनेरेटिव बिहार, ग्रीन गोपालपुर मिशन और पीडीएजी के साथ मिलकर एक-दिवसीय मंथन शिविर से की गई। एक दिवसीय मंथन शिविर में 70 से अधिक पंचायती राज प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया और जिले को जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए तैयार करने के उपायों पर गहन चिंतन किया गया।जलवायु संकट को नजरंदाज करना भविष्य के लिए खतरा हैं। इस मौके पर जिला परिषद सदस्य अनिल प्रसाद साह ने कहा कि जलवायु संकट को अगर आज नजरंदाज किया गया तो बाद में इसे कभी भी सुधारा नहीं जा सकेगा। यह संकट हर किसी को प्रभावित कर रहा है और इसका निदान अभी ढूंढना जरूरी है। जिला परिषद सदस्य सोलोमी मुर्मू ने कहा की बेमौसम बारिश, खंड वर्ष और तापलहरी के कारण महिलाओं पर कई नए कामों का बोझ बढ़ गया है। उनके स्वास्थ्य पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है। तापलहरी और शीतलहरी के कारण बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य प्रभावित हो रहे हैं। आमदनी में कमी के कारण इस नए संकट को झेलने में परिवार सामान्य किसान और मजदूर परिवार सक्षम नहीं हैं।
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